Workshop on Women Safety.महिला सुरक्षा और उनके विरूद्ध घटित अपराध के प्रति जागरूक करने पुलिस अकादमी चंदखुरी में 19 से 23 फरवरी कार्यशाला

पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो “बीपीआरएण्डडी” के निर्देशानुसार महिला सुरक्षा और उनके विरूद्ध घटित अपराध के प्रति प्रदेश के पुलिस अधिकारियों को जागरूक करने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस राज्य पुलिस अकादमी चंदखुरी में 19 फरवरी से 23 फरवरी तक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. 5 दिवसीय इस कार्यशाला में राज्य के विभिन्न जिलों के थानों में पदस्थ 33 विवेचक अधिकारी सम्मलित हो रहे हैं, जिन्हें बीपीआरएण्डडी द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम अनुसार प्रशिक्षण दिया जायेगा.

कार्यशाला का उद्घाटन अकादमी के निदेशक रतन लाल डांगी ने किया. इस दौरान उन्होंने प्रतिभागियों को शारीरिक और मानसिक रूप से इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित रहने के लिए कहा. क्योंकि जब शरीर और मन की दूरी जितनी कम होगी तनाव उतना ही कम होगा और हम इस प्रशिक्षण से बहुत कुछ सीख सकेंगे. प्रत्येक पुलिस अधिकारी को अपने आप पर गर्व होना चाहिए क्योंकि पुलिस ऐसी सेवा है जिसमें कमजोर तबके के लोगों, महिलाओं, बच्चों एवं सभी वर्ग के लोगों की मद्द करने का मौका मिलता है. समाज में शोषित और कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने के लिये विभिन्न कानून बनाये गये हैं, जिनका उपयोग विवेचक अधिकारी अपनी विवेचना के दौरान करके अपराधी को सजा दिलाता है और पीड़ित को न्याय. जिस तरह डॉक्टर जो कि बीमार लोगों का उपचार कर उन्हें जीवनदान देता है और भगवान का अवतार कहलाता है. उसी तरह प्रत्येक पुलिस अधिकारी और कर्मचारी पीड़ित को न्याय दिलाकर भगवान का अवतार कहलाता है.

कोई भी व्यक्ति अपने मन की बात, दुखः, पीड़ा सभी से साझा नहीं करता लेकिन पुलिस के पास एक विश्वास के साथ आकर अपनी बात कहता है. पुलिस एक ऐसी संस्था हैं जिस पर लोगों को सबसे ज्यादा विश्वास होता है. कभी-कभी पुलिस की आलोचनायें होती हैं, इससे हमें उदास नहीं होना है. हमें पीड़ित को हमेशा न्याय दिलाने की दिशा में संवेदनशील होना है. हमें सदैव समाज की आवश्यकता बनकर रहना चाहिए तभी हमारा महत्व बढ़ेगा और यह तब होगा जब हमारे अन्दर सहनशीलता की भावना होगी. मां, बहन की पीड़ा को समझेंगे, उनकी भावना को समझेंगे और उनकी बात को धैर्य पूर्वक सुनेंगे और उन्हें न्याय के लिये विश्वास दिलायेंगे.

पीड़ित को न्याय दिलाने की शुरूआत एफआईआर से होती है. एफआईआर लेखन दौरान विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता होती है, छोटी सी प्रविष्टि के छूट जाने से लगाये गये कानूनी धारायें प्रभावित होती हैं. अपराधी के विरूद्ध कानूनी प्रक्रिया का पालन कर, वैज्ञानिक तरीकों से साक्ष्य संकलित कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें जिससे पीड़ित को न्याय मिल सके और अपराधी को साक्ष्य ब्रेक होने पर किसी प्रकार के संशय का लाभ न मिल सके और सजा मिले. यदि अपने जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी रखना चाहते हैं तो इस विषय पर गंभीरता से त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है. कोई भी पीड़ित महिला या बच्चा हमारे थाने में आता है तो उससे बहुत सभ्य भाषा शैली से संवाद करें, किसी भी प्रकार का गलत कमेंट न करें. हमारी भाषा शैली हमारे व्यक्तित्व एवं संस्कार को प्रदर्शित करते हैं. पीड़ित के सामने हमारी भाषा बहुत नपे-तुले होने चाहिये, लोगों के हिम्मत बढ़ाने वाला शब्द होना चाहिए.

इस कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को इस विषय पर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित करने की मंशा हमारी और बीपीआरएण्डडी की है, जो यहां से प्राप्त प्रशिक्षण का लाभ न केवल अपनी विवेचना के दौरान उठायेंगे लेकिन अपने थानों में अपने अधीनस्थों को साझा कर उन्हें भी इस प्रशिक्षण का लाभ पहुंचायेंगे. इस पांच दिवसीय कार्यशाला में सभी पुलिस अधिकारियों को महिलाओं से संबंधित कानूनी प्रावधानों में नवीनतम संशोधनों और वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रक्रियाओं से अवगत कराया जाएगा. साथ ही माननीय न्यायालयों द्वारा प्रसारित दिशा निर्देश के संबंध में भी बताया जाएगा.

इस कार्यक्रम में अकादमी के पुलिस अधीक्षक जयंत वैष्णव, उप पुलिस अधीक्षक रूपा खेस और सहायक लोक अभियोजन अधिकारी शुभम तोमर सहित समस्त अकादमी स्टॉफ भी उपस्थित रहे.

Picture of Shahajada Khan

Shahajada Khan

Chief Editor & Owner

All Posts
Facebook
X
LinkedIn
WhatsApp

यह भी पढ़ें।

Following

मेरा शहर