केंद्र सरकार के पेंशन भोगियों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र में फेस ऑथेन्टिकेशन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए इस माह राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र(डीएलसी) अभियान 3.0 चलाया जा रहा है।
इसी के तहत हिमाचल में भी एसबीआई, पीएनबी और डाक विभाग द्वारा कई शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा ये शिविर शिमला शहर में माल रोड, संजौली, कसुंपटी, शिमला पूर्व और टूटू शाखाओं में लगाए जा रहे हैं। पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के अवर सचिव, सिद्धेश्वर चक्रवर्ती ने आज शिमला मे इन शिविरों में जाकर जायजा लिया और फेस ऑथेन्टिकेशन तकनीक के बारे में पेंशनभोगियों का मार्गदर्शन भी किया ।
इस अवसर पर सिद्धेश्वर चक्रवर्ती ने बताया कि पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा वृद्धावस्था में पेंशनरों की सहूलियत के लिए नहीं डिजिटल तकनीक को अपनाया जा रहा है। जिससे अब बुजुर्ग एक ऐप के माध्यम से ऑनलाइन अपना जीवन प्रमाण पत्र बैंक में जमा करवा सकते हैं जिसे उन्हें हर वर्ष बैंक को देना होता है। उन्होंने बताया कि बड़ी उम्र में बुजुर्गों के फिंगरप्रिंट्स भी स्पष्ट नहीं आ पाते हैं इसलिए अब डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र में फेस आइडेंटिफिकेशन तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि देशभर में बीते वर्ष डेढ़ करोड़ से अधिक पेंशनरों को डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र से जोड़ा गया है। जबकि इस वर्ष 2 करोड़ से अधिक पेंशनरों को यह सुविधा मुहैया करवाने की कोशिश की जा रही है।
जिसके चलते देश भर में 800 से अधिक शहरों वह जिलों में पेंशनरों के लिए नवंबर माह में शिविरों का आयोजन किया गया है जहां उनके डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं साथ ही उन्हें तकनीक से अवगत भी करवाया जा रहा है ताकि वे भविष्य में स्वयं कहीं से भी कभी भी इस सुविधा का लाभ ले सके और उन्हें बड़ी उम्र में जीवन प्रमाण पत्र के लिए बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़े। साथ ही वयोवृद्ध तथा निःशक्त पेंशन भोगियों के घर जाकर उनके डीएलसी जमा करने में मदद करने के लिए डाक विभाग द्वारा विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं ।
सिद्धेश्वर चक्रवर्ती, अवर सचिव, पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग पेंशनर , -1-2-3 फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा पेंशनभोगी किसी भी एंड्रॉइड स्मार्टफोन से अपना डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा कर सकते हैं। पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने वर्ष 2014 में डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र(जीवन प्रमाण) और नवंबर, 2021 में फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का शुभारंभ किया है। जिससे जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की प्रक्रिया सरल हो गई।