Janjgir News : पामगढ़ में बसपा का किला फतह कर पाने में कांग्रेस की हर कोशिश हो रही नाकाम…

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Janjgir News : चुनाव प्रचार के अंतिम दौर तक कांग्रेस प्रत्याशी को नहीं मिल पाया बेहतर जनसमर्थन…

Janjgir News : जांजगीर-चांपा। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का किला फतह कर पाने में कांग्रेस की हर कोशिश नाकाम होती नजर आ रही है। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर तक कांग्रेस प्रत्याशी को यहाँ बेहतर जनसमर्थन नहीं मिल पाया तो वही अब भीतरघात का खतरा भी बढ़ गया है, जो विपक्षी दलों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, ऐसा राजनीतिकारों का मानना है।

दरअसल, पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र एक समय कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। यहाँ कांग्रेस लंबे समय तक चुनाव जीतती रही परन्तु, पिछले कुछ चुनावों से यहाँ कांग्रेस पार्टी की स्थिति काफी खराब हो गई है। इसका प्रमुख कारण यह है कि यहाँ कांग्रेस पार्टी उन्हीं लोगों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारती है, जो पांच वर्ष तक क्षेत्र में नजर नहीं आते हैं। इसी का खामियाजा पिछले तीन चुनाव से कांग्रेस पार्टी को लगातार भुगतना पड़ रहा है। बावजूद इसके, कांग्रेस हाइकमान ने इस बार भी यहाँ बाहरी व्यक्ति को अवसर देकर बसपा को वॉकओवर देने का काम किया है। दूसरी ओर, चुनाव प्रचार के अंतिम दौर तक भी कांग्रेस प्रत्याशी यहां बेहतर जनसमर्थन पाने को तरस गई। क्योंकि, स्थानीय और बाहरी के मुद्दे ने उन्हें पूरे समय तक घेरे रखा तो वहीं विभिन्न कारणों से कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी पूरे समय तक उनसे दूर-दूर नजर आए। सिर्फ इतना ही नहीं, पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में इस बार एक भी स्टार प्रचारक का आना तक नहीं हुआ, जिससे कांग्रेस प्रत्याशी शुरु से अंत तक अलग-थलग ही नजर आईं और क्षेत्र में उनकी स्थिति मजबूत नहीं हो पाई। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद पामगढ़ विधानसभा सीट से 2003 में कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास ने बहुजन समाज पार्टी का किला फतह किया। महंत रामसुंदर दास पामगढ़ से विधायक चुने गए, जबकि उससे पहले लगातार तीन बार बसपा के दाऊराम रत्नाकर ने जीत हासिल की थी, जिसके बाद परिसीमन में पामगढ़ को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया। वर्ष 2008 में बीजेपी और कांग्रेस को हराकर बसपा के दूजराम बौद्ध ने जीत हासिल की तो साल 2013 में पामगढ़ से बीजेपी के अम्बेश जॉगड़े ने जीत हासिल की। जबकि, वर्ष 2018 के चुनाव में पामगढ़ से बसपा प्रत्याशी इंदु बंजारे ने कांग्रेस प्रत्याशी रहे गोरेलाल बर्मन को महज 3000 वोटों से पटकनी दी थी। बहरहाल, पिछले चुनाव की तरह इस बार भी बहुजन समाज पार्टी यहां मजबूत नजर आ रही है, जो किला फतह करने पूरी तरह से तैयार है तो वहीं कांग्रेस और भाजपा, अपनी खोई हुई सीट को पुनः वापस पाने भरपूर मशक्क़त करती नजर आ रहीं हैं।

ओबीसी वोटर्स को साधने में जुटी सभी पार्टियां

जनसंख्या के आधार पर पामगढ़ विधानसभा में 45 प्रतिशत के करीब ओबीसी वर्ग की बाहुल्यता है, लेकिन इस वर्ग में अलग-अलग कई जाति के लोग समाहित होने के कारण कुर्मी, कश्यप की भूमिका अहम होती है। जिस ओर इनका साथ मिलता है, उसका पलड़ा भारी हो जाता है। वहीं अनुसूचित जाति की संख्या 35 प्रतिशत के करीब है। जबकि, अनुसूचित जनजाति और सामान्य वर्ग के voter बहुत ही कम हैं, जिसके कारण इस सीट में ओबीसी वोटर्स को साधने सभी पार्टी जुटी रहती हैं।

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Shahajada Khan

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