स्वीपर पद दो साल से खाली : ओडिशा से बुलाना पड़ रहा स्वीपर, दुख की घड़ी में मृतक के परिजनों को देना पड़ता है मुंह मांगी रकम

गरियाबंद। देवभोग सिविल अस्पताल में पीएम के वक्त चीर फाड़ करने वाले स्वीपर का पद दो साल से खाली पड़ा है. लिहाजा इस काम के लिए ओडिशा में मौजूद स्वीपरों को बुलाना पड़ता है जो मेहनताना के नाम पर मुंह मांगी कीमत मांगते है और उन्हें मजबूरी में देना भी पड़ता है. रविवार को केकेराजोर ढेपगुड़ा मार्ग पर एक पूल के पास संदिग्ध अवस्था में 35 वर्षीय लोकेश्वर नागेश का शव मिला. पंचनामा की कार्यवाही के बाद देवभोग थाना में मर्ग कायम कर उसे पोस्टमार्टम के लिए मर्च्यूरी लाया गया. सुबह मिले शव को 10 बजे तक मर्च्यरी ले आया गया था, लेकिन पीएम के लिए चीर फाड़ करने वाले स्वीपर के इंतजार में शाम 4 बजे पीएम हो सका. लाचार पुलिस ने ओडिशा के स्वीपर से संपर्क कर बुलाया. जिसके बाद स्वीपर आते ही पहले अपना मेहनताना तय करता है. इस बार उसने अपना फीस 5 हजार बताया. मृतक का परिवार गरीब था, उसने इस फीस को देने में अक्षमता जाहिर किया तो स्वीपर भी काम के लिए हाथ खड़ा कर दिया. मांगी गई रकम पर हामी भरने के बाद किसी तरह पीएम हुआ. रुपये देने की बारी आई तो पीड़ित परिवार वाले 3500 देने लगे लेकिन स्वीपर पैसे लेने से इंकार करता रहा. अंत में भारी मशक्कत के बाद उसे 4 हजार दिया गया. मृतक के भाई भवर सिंह नागेश ने कहा की परिजनों से मांग कर जितना एकत्र किए उतना दे रहे थे. बाद में किसी तरह 4 हजार में स्वीपर को मनाया गया.

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पीएम के बदले पैसे का रिवाज कब खत्म होगा

गरियाबंद।मसला एक स्वीपर जैसे छोटे से पद की भर्ती का है. लेकिन यह समस्या क्षेत्र वालों के लिए बहुत बड़ी है. पीएम के बदले पैसे देने की यह मजबूरी तब तक खत्म नहीं हो सकेगी जब तक जिम्मेदार इस पद की पूर्ति न कर दें. स्वास्थ्य गत बेहतर सुविधाओं के लिए जूझ रहे देवभोग क्षेत्र में स्वीपर जैसे महत्वपूर्ण पद में भर्ती की आवश्यकता है.

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पुलिस को कराना पड़ता है व्यवस्था

गरियाबंद। सिविल अस्पताल का दर्जा प्राप्त देवभोग अस्पताल में साफ-सफाई के लिए दो स्वीपर हैं पर इनमे से चीर फाड़ कोई नहीं करता. कोरोना काल में स्वीपर सुभाष सिंदूर की मौत के बाद चीर फाड़ करने वाले स्वीपर का पद पिछले दो साल से रिक्त पड़ा है. मैनपुर अस्पताल में स्वीपर है पर 80 किमी दूर होने के कारण समय पर नहीं आ पाता. कहा जाता है की स्वीपर आता भी है तो 5 हजार से ज्यादा खर्च देने पड़ते हैं. प्रति माह औसतन 8 या फिर दुर्घटना बढ़ा तो उससे ज्यादा संख्या में पीएम करना होता है.

गरियाबंद। पीएम भले ही डॉक्टर करते हैं पर यहां चीर फाड़ कराने वाले की व्यवस्था कराना पुलिस का काम हो गया है. कई बार तो स्वीपर का मेहनताना पुलिस के जेब से भरना पड़ता है.स्वीपर ओडिशा के होते है, ऐसे में उनके सारे नखरे पुलिस को चुपचाप झेलना पड़ता है. एएसआई देवभोग हुकुम सिंह ने बताया कि 16 मार्च शाम से घर से लापता युवक का शव केकराजोर मार्ग पर मिला. बाहरी कोई चोंट नहीं था, पुल से गिरने के वजह से मौत होने की संभावना है. पीएम रिपोर्ट के बाद ही स्थिति पता चलेगा. यहा स्वीपर नहीं होने के कारण हमेशा की तरह ओडिशा से स्वीपर बुलाया गया था. बीएमओ देवभोग सुनील रेड्डी ने इसपर कहा कि दो साल से चीर फाड़ करने वाले स्वीपर का पद रिक्त है. हर बार मांग पत्र में यह जानकारी उच्च कार्यालय भेजी जाती है.

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